नई दिल्ली. हाल ही में शेयर बाजार में धूम मचाने वाला बजाज हाउसिंग फाइनेंस का शेयर अब निवेशकों को उलझन में डाल रहा है. लिस्टिंग के समय जिसने भारी मुनाफा दिया था, अब इसका भाव लिस्टिंग प्राइस से भी नीचे आ गया है. इसके शेयरों ने सोमवार को भारी गिरावट दर्ज की. शेयर में 10 प्रतिशत की गिरावट के साथ लोअर सर्किट पर आ गया. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर यह 135.54 पर बंद हुआ. यह अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर ₹188.50 से 28 फीसदी से भी अधिक गिर चुका है.
भले ही अब इस शेयर के दिन अच्छे नहीं चल रहे, मगर कंपनी ने अपने आईपीओ (IPO) में निवेशकों को रातों-रात मालामाल कर दिया था. यह अपने आईपीओ प्राइस 70 रुपये की बजाय 150 रुपये पर खुला था. 16 सितंबर 2024 को लिस्ट हुई इस शेयर ने पहले ही दिन 165 रुपये के भाव पर क्लोजिंग दी थी. 17 सितंबर को 10 फीसदी का अपर सर्किट लगाया और निवेशकों को खुश कर दिया. लेकिन अगले ही दिन से इसने गिरना शुरू कर दिया और अब 135 के भाव पर आ चुका है.
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा गिरावट का मुख्य कारण मुनाफावसूली (profit booking) है. वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी रणनीति निदेशक क्रांति बाथिनी ने कहा, “जो निवेशक लंबी अवधि के दृष्टिकोण से निवेश कर रहे हैं, उन्हें स्टॉक में अपना निवेश बनाए रखना चाहिए. वर्तमान स्तरों पर नई खरीदारी की सलाह नहीं दी जाती. कमाई के परिणामों का इंतजार करना चाहिए. जो निवेशक IPO में निवेश कर चुके हैं, वे कुछ मुनाफा बुक करने पर विचार कर सकते हैं.”
तकनीकी विश्लेषण: क्या हैं आगे की संभावनाएं
तकनीकी तौर पर बजाज हाउसिंग के शेयर में नियर टर्म में 134 पर सपोर्ट (support) देखा जा सकता है. जल्दी निवेश करने वालों को भी थोड़ा इंतजार करना चाहिए और भाव के 150 रुपये के स्तर से ऊपर जाने के बाद ही एंट्री लेने के बारे में सोचना चाहिए
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आनंद राठी के वरिष्ठ प्रबंधक और टेक्निकल रिसर्च एक्सपर्ट जिगर एस पटेल ने कहा, “सपोर्ट ₹134 पर होगा और रेजिस्टेंस (resistance) ₹145 पर. यदि शेयर ₹145 से ऊपर बंद होता है, तो यह ₹155 तक की बढ़त को प्रेरित कर सकता है. आने वाले समय में इसकी ट्रेडिंग रेंज ₹130 से ₹155 के बीच रह सकती है.”
क्यों गिरा शेयर?
स्टॉक्सबॉक्स के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक अमेया राणाडिव का कहना है कि बजाज हाउसिंग ने ₹150 के महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया है. “शेयर बाजार की व्यापक परिस्थितियों के कारण छोटे और मिड-कैप शेयरों पर दबाव बना हुआ है. सेबी की नई मार्जिन नियमावली, राज्य चुनावों से पहले की राजनीतिक अनिश्चितता, बढ़ते क्रूड ऑयल के दाम और मध्य पूर्व में जारी संघर्ष जैसी बाहरी परिस्थितियों ने भी इस गिरावट में योगदान दिया है.”