Sunil Chhetri Farewell: छेत्री के जाने से भारतीय फ़ुटबॉल को बड़ा नुकसना होने वाला है. सुनील छेत्री ने 150 मैचों में 94 गोल किए हैं
मैं एक बार उनके कमरे में गया तो देखा 17-18 जोड़े जूते बिल्कुल करीने से सजा कर रखे हुए हैं. एक स्कूल का छात्र जैसे अपने क़िताबों को संभाल कर रखता है, छेत्री ने वैसे ही अपने जूतों को सहेजकर रखा था. ये छेत्री का अपने गेम के लिए प्यार ही दिखाता है. इन्हीं सब वजहों से वो इतना लंबा और अच्छा खेल पाए.” अनादि बरुआ भी मानते हैं कि छेत्री के जाने से भारतीय फ़ुटबॉल को बड़ा नुकसना होने वाला है. वो कहते हैं,” 150 मैचों में सुनील छेत्री ने 94 गोल किए.
अनादि सुनील छेत्री के फ़ुटबॉल स्किल के कायल हैं. वो कहते हैं कि शायद वो अपनी मां की सुशीला छेत्री की तरह ही फ़ाइटर हैं. अनादि के मुताबिक छेत्री की मां सुशीला भी बिना रुके पैर से 100 से ज़्यादा फ़ुटबॉल की जगलिंग कर सकती हैं. वो कहते हैं कि छोटी कद का होते हुए भी हेडर बहुत शानदार करते हैं. भीड़ में भी गेंद छीनने के लिए घुस जाते हैं. खुद को बचाने की कोशिश नहीं करते. अनादि वो किस्सा भी दिलचस्पी से बताते हैं जब बतौर कोच संतोष ट्रॉफ़ी के दौरान उन्होंने सुनील को घर जाने की इजाज़त दी थी. लेकिन अगले दिन मैच से पहले वो जर्सी लाना भूल गए.
Sunil Chhetri Retirement: भारतीय कप्तान सुनील छेत्री के सैकड़ों अनसुने किस्से हैं जो भारतीय फ़ुटबॉल में उनकी अहमियत का दस्तख़त हैं. अपने आख़िरी मैच में कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में सुनील छेत्री और उनकी टीम आज कुवैत के ख़िलाफ़ वर्ल्ड कप क्वालिफ़ायर का बेहद अहम मैच खेलेगी. सुनील के साथी खिलाड़ी और कोच -सबों के पास सुनील छेत्री से जुड़ा यादों का कारवां है. यहां तक कि भारतीय क्रिकेट स्टार विराट कोहली भी उनके कायल रहे हैं. सुनील छेत्री की अपील पर विराट भी भारतीय फ़ुटबॉल के लिए दर्शकों से अपील कर चुके हैं. छेत्री के पूर्व कोच और पूर्व भारतीय फ़ुटबॉलर अनादि बरुआ बताते हैं, “मैं दिल्ली का कोच था और सुनील दिल्ली के कप्तान. बड़े ही अनुशासित रहते थे. खाने-पीने का पूरा ध्यान रखते, मसाला बिल्कुल नहीं और इन सबके लिए कोलकाता से एक ख़ानसामा साथ रखते.
फिर दूसरी जर्सी का इंतजाम कर उसपर सुनील का नंबर डाला गया और तब जाकर वो मैच खेल पाए. कोच अनादि ने उन्हें डांटा भी. लेकिन सुनील ने ग़लती मानी और इसे सबक लेकर आगे बढ़ गए.
पूर्व भारतीय फ़ुटबॉलर रेनेडि सिंह कहते हैं, “मैं सुनील के साथ 8 साल खेला. जीत में और हार में हम साथ रहे. सुनील दिल्ली के बहुत ही स्मार्ट फ़ुटबॉलर की तरह रहे. हम फुटबॉलर हमेशा खेलते रहना चाहते हैं. लेकिन सुनील ने अपने करियर को हाई पर छोड़ने का फ़ैसला किया. ये सुनील का स्टाइल है. लेकिन उनकी कमी ज़रूर खलेगी. उन्होंने जो भारतीय फ़ुटबॉल के लिए किया है उसे किसी भी खिलाड़ी के लिए कर पाना आसान नहीं होगा.”
भारतीय कप्तान सुनील छेत्री कोलकाता के साल्ट लेक स्टेडियम में कुवैत के ख़िलाफ़ अपना आख़िरी फ़ुटबॉल मैच खेलेंगे तो एक विरासत छोड़ जाएंगे. उनकी जीत, हार, रोने, हंसने, भारतीय टीम को एक साथ लाने, भारतीय फ़ुटबॉल का पोस्टर बॉय बनने के अनगिनत किस्से हैं. क़रीब दो दशक तक सुनील छेत्री, सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्लै, सानिया मिर्ज़ा, लिएंडर-महेश की जोड़ी की तरह अपने खेल का भारत में पोस्टर बॉय बने रहे. वो जाएंगे तो बहुत याद आएंगे.